Saturday, April 10, 2010

जात न पूछो साधू की 2

फिर मुह को हवा में उठा कर चिल्ला कर मास्टर जी ने आवाज़ लगायी " अरे बुधिया !! सृजन को उसकी कक्षा में ले जा " और फिर चेहरे पर एक संतोष का भाव आया की जो पान की पीक उनके मुह थी वोह मुह में ही रह गयी और वोह धीरे धीरे फिर पान का स्वाद लेने लग गए .
सृजन बुधिया के पीछे_२ चलते हुए कक्षा में पंहुचा तो बुधिया प्रशाशक की भूमिका में आते हुए जोर से कहा " अरे हल्ला मत करो . अभी हिंदी के मास्टर आते है तो चमड़ी खीच देंगे तुम लोगो की "
और फिर नरम आवाज़ में आ कर कहा " बबुआ जी ..वहा आगे बैठ जाओ आप . और कल वोही बैठना "
सृजन धीरे से चलता हुआ एक बच्चे के बगल में बैठ गया और कुछ देर के बाद जब शांत हुआ तो बगल के बच्चे से पूछा .
"क्या नाम है तुम्हारा "
"राम सरन "
तभी उसे अगला सवाल याद आया जो मास्टर जी पूछा था .
"तुम क्या हो ?"
बच्चा सृजन का चेहरा देखने लग गया , उसके पिता ने यह तो बताया ही नहीं की वोह क्या है ?

6 comments:

Arvind Sharma said...

bahut khoob... marmik

मनोज कुमार said...
This comment has been removed by the author.
RAJ SINH said...

सोद्देश लेखन .जाती ने ही भारत का पतन कराया है.

आपका स्वागत !
वेरिफिकेसन हटा दें कोई फायदा नहीं .

Anonymous said...

wah!

bubbles said...

आप सभी लोगो का बहुत बहुत शुक्रिया .. यद्दपि मैं भी जात-पात की रुढ़िवादी पद्धति को तोड़ चूका हु पर आज भी यह न नग्न सत्य यह है की आज भी हमारा समाज इस से छुटकारा नहीं पा सकता है क्यों की इसकी नीव तब पड़ चुकी होती है जब बाल-मन एक पवित्र रूप में होता है और बड़े होने तक यह उसके अन्दर जड़ जमा चुकी होती है . मैं आप सभी लोगो का फिर से शुक्रिया अदा करता हु मेरे हौसले अफजाई के लिए ... शिवेन

bubbles said...

@राज सिंह जी ..
आदरनिये राज सिंह जी ..मैंने वेरिफिकेसन इस लिए लगाया है ताकि कोई भी अभद्र भाषा का प्रयोग न कर सके और दूसरा कारन यह था की इस से ब्लॉग को एक सुरक्षा परत मिल जाती है ..
आपका स्नेह्भागी
शिवेन